RSCIT Book Lesson- 2. (Computer System) Notes In Hindi 2024
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नोट :- अगर आप इस RSCIT Notes को वीडियो के माध्यम से समझना चाहते हैं, तो हमने इस पोस्ट के बिल्कुल अंत में आपके लिए एक अच्छा सा वीडियो भी जोड़ा है। तो अगर आपको वीडियो देख कर पढ़ना आसान लगता है, तो कृपया करके आप वीडियो को इस पोस्ट के बिल्कुल अंत में जाकर देख सकते हैं।
कंप्यूटर एक सुचना प्रणाली का हिस्सा हैं।
सुचना प्रणाली पांच भाग हैं - Data, Hardware, Software, प्रोसीजर (Procedure), People.
➤ डाटा (Data): इमेज, टेक्स्ट, वीडियो आदि डाटा होता हैं।
➤ हार्डवेयर (Hardware): कंप्यूटर के वे भाग जिनको हम छू सकते हैं और देख भी सकते हैं। जैसे - मॉनिटर, कीबोर्ड, माउस, स्पीकर, प्रिंटर आदि।
➤ सॉफ्टवेयर (Software): प्रोग्राम्स का समूह अथवा प्रोग्राम्स का दूसरा नाम सॉफ्टवेयर हैं। जैसे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, पॉवरपॉइंट, एक्सेल आदि।
➤ प्रोसीजर (Procedure): ये वे नियम या दिशा निर्देश होते हैं जिनको पढ़कर हम कंप्यूटर हार्डवेयर - सॉफ्टवेयर को आसानी से उपयोग कर सकते हैं। प्रोसीजर आमतौर पर कंप्यूटर विशेषज्ञों द्वारा लिखे जाते हैं।
➤ लोग (People): कंप्यूटर के द्वारा हम बहतर सामान तैयार कर सकते हैं।
Input Device :-
वे उपकरण जो डाटा को कंप्यूटर के अंदर ले जाने में हमारी मदद करते हैं इनपुट डिवाइस कहलाते हैं। जैसे - कीबोर्ड, माउस, स्केनर, मइक्रोफ़ोन आदि इनपुट डिवाइस के उदाहरण हैं।
➨ चलिए हम कुछ इनपुट डिवाइस के बारे में बात करते हैं -
1. कीबोर्ड (Keyboard) : यह एक इनपुट डिवाइस हैं। और इसमें लगी Keys को हिंदी में कुंजियाँ कहा जाता हैं। कंप्यूटर कीबोर्ड में-
➔ F1 से F12 तक Function Keys होती हैं। इसके आलावा
➔ !, @, #, $, %, *, ?, :, ", आदि Symbol keys होती हैं।
➔ A to Z : Alphabet Keys.
➔ 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, आदि को Numerical keys कहा जाता हैं।
➔ Num Lock, Caps Lock, Scroll Lock ये तीनो Keys किसी विशेष फीचर को On/Off करने में काम आती हैं इनको Toggle (टॉगल) Keys के नाम से जाना जाता हैं।
➔ Ctrl, Alt Keys को Combination keys के नाम से जाना जाता हैं। क्योंकि इनका उपयोग दूसरी keys के साथ होता हैं। इसलिए इनको कॉम्बिनेशन कीज के नाम से जानते हैं।
इसके आलावा बहुत सारी कुंजियाँ कीबोर्ड में मौजूद होती हैं।
➔ Navigation Keys- Arrow Keys को बोलते हैं। ये चार होती हैं। (←,↑,→,↓)
2. स्कैनर (Scanner) : लेजर तकनीक द्वारा किसी भी दस्तावेज, फोटो आदि को परिवर्तित करके डिजिटल बना देता हैं ताकि दस्तावेज आदि का इस्तेमाल लम्बे समय तक हो सके।
3. मिडी (MIDI) : इसका पूरा नाम Musical Instrument Digital Interface होता हैं। यह एक प्रणाली हैं जो संगीत यंत्रो के बीच डेटा को प्रसार करने में काम आती हैं।
4. मैग्नेटिक इंक करैक्टर रिकोग्निशन (Magnetic Ink Character Recognition) : MICR एक करैक्टर पहचानने की तकनीक हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से बैंकिंग उद्योग में चेक व अन्य दस्तावेजों की क्लीयरिंग करने के लिए होता हैं।
5. ऑप्टिकल मार्क रीडर (OMR) : इसका पूरा नाम - Optical Mark Reader होता हैं। यह एक विशेष प्रकार का स्कैनर होता हैं। इसका इस्तेमाल परीक्षाओ में उत्तर पुस्तिका और OMR Sheet पर बने पेन और पेंसिल के निशानों को पहचान करने में होता हैं। आजकल इसका उपयोग चुनावों और सर्वे में भी होता हैं।
6. ऑप्टिकल करैक्टर रिकग्निशन (OCR) : इसका पूरा नाम Optical Character Recognition होता हैं। इसका उपयोग व्यापक रूप से स्वचालित डाटा एंट्री के लिए किया जाता हैं।
7. बार कोड रीडर (Bar Code Reader) : [BCR] एक होता हैं बार कोड और उस कोड को रीड करने वाला बार कोड रीडर होता हैं। किसी प्रोडक्ट की पहचान के लिए उस प्रोडक्ट पर एक कोड दिया होता हैं। जैसा की आप नीचे इमेज में देख सकते हो इस कोड को रीड करने के लिए बार कोड रीडर का इस्तेमाल होता हैं।
8. स्पीच रिकग्निशन डिवाइस (Speech Recognition Device) : इसके द्वारा कंप्यूटर में ऑडियो इनपुट करवाया जाता हैं जिसके लिए माइक्रोफोन की जरूरत पड़ती हैं।
9. वेबकैम (Webcam) : यह कंप्यूटर से जुड़ा कैमरा होता हैं। जिसके द्वारा हम फोटो और वीडियोस कैप्चर कर सकते हैं।
अभी हम बात करते हैं - Pointing Input Device के बारे में :-
➭ ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI), जो बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाते हैं, में स्क्रीन पर कर्सर की स्थिति बताने के लिए पॉइंटिंग डिवाइस की आवश्यकता होती हैं।
1. माउस (Mouse) :
6. ग्राफ़िक्स टेबलेट (Graphics Tablet) : यह एक टैबलेट के समान दिखाई देती हैं पर इसका उपयोग चित्र बनाने में किया जाता हैं। इस टेबल पर एक विशेष प्रकार के पेन का इस्तेमाल होता हैं।
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नोट :- अगर आप इस RSCIT Notes को वीडियो के माध्यम से समझना चाहते हैं, तो हमने इस पोस्ट के बिल्कुल अंत में आपके लिए एक अच्छा सा वीडियो भी जोड़ा है। तो अगर आपको वीडियो देख कर पढ़ना आसान लगता है, तो कृपया करके आप वीडियो को इस पोस्ट के बिल्कुल अंत में जाकर देख सकते हैं।
कंप्यूटर एक सुचना प्रणाली का हिस्सा हैं।
सुचना प्रणाली पांच भाग हैं - Data, Hardware, Software, प्रोसीजर (Procedure), People.
➤ डाटा (Data): इमेज, टेक्स्ट, वीडियो आदि डाटा होता हैं।
➤ हार्डवेयर (Hardware): कंप्यूटर के वे भाग जिनको हम छू सकते हैं और देख भी सकते हैं। जैसे - मॉनिटर, कीबोर्ड, माउस, स्पीकर, प्रिंटर आदि।
➤ सॉफ्टवेयर (Software): प्रोग्राम्स का समूह अथवा प्रोग्राम्स का दूसरा नाम सॉफ्टवेयर हैं। जैसे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, पॉवरपॉइंट, एक्सेल आदि।
➤ प्रोसीजर (Procedure): ये वे नियम या दिशा निर्देश होते हैं जिनको पढ़कर हम कंप्यूटर हार्डवेयर - सॉफ्टवेयर को आसानी से उपयोग कर सकते हैं। प्रोसीजर आमतौर पर कंप्यूटर विशेषज्ञों द्वारा लिखे जाते हैं।
➤ लोग (People): कंप्यूटर के द्वारा हम बहतर सामान तैयार कर सकते हैं।
Input Device :-
वे उपकरण जो डाटा को कंप्यूटर के अंदर ले जाने में हमारी मदद करते हैं इनपुट डिवाइस कहलाते हैं। जैसे - कीबोर्ड, माउस, स्केनर, मइक्रोफ़ोन आदि इनपुट डिवाइस के उदाहरण हैं।
➨ चलिए हम कुछ इनपुट डिवाइस के बारे में बात करते हैं -
1. कीबोर्ड (Keyboard) : यह एक इनपुट डिवाइस हैं। और इसमें लगी Keys को हिंदी में कुंजियाँ कहा जाता हैं। कंप्यूटर कीबोर्ड में-
➔ F1 से F12 तक Function Keys होती हैं। इसके आलावा
➔ !, @, #, $, %, *, ?, :, ", आदि Symbol keys होती हैं।
➔ A to Z : Alphabet Keys.
➔ 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, आदि को Numerical keys कहा जाता हैं।
➔ Num Lock, Caps Lock, Scroll Lock ये तीनो Keys किसी विशेष फीचर को On/Off करने में काम आती हैं इनको Toggle (टॉगल) Keys के नाम से जाना जाता हैं।
➔ Ctrl, Alt Keys को Combination keys के नाम से जाना जाता हैं। क्योंकि इनका उपयोग दूसरी keys के साथ होता हैं। इसलिए इनको कॉम्बिनेशन कीज के नाम से जानते हैं।
इसके आलावा बहुत सारी कुंजियाँ कीबोर्ड में मौजूद होती हैं।
➔ Navigation Keys- Arrow Keys को बोलते हैं। ये चार होती हैं। (←,↑,→,↓)
2. स्कैनर (Scanner) : लेजर तकनीक द्वारा किसी भी दस्तावेज, फोटो आदि को परिवर्तित करके डिजिटल बना देता हैं ताकि दस्तावेज आदि का इस्तेमाल लम्बे समय तक हो सके।
3. मिडी (MIDI) : इसका पूरा नाम Musical Instrument Digital Interface होता हैं। यह एक प्रणाली हैं जो संगीत यंत्रो के बीच डेटा को प्रसार करने में काम आती हैं।
4. मैग्नेटिक इंक करैक्टर रिकोग्निशन (Magnetic Ink Character Recognition) : MICR एक करैक्टर पहचानने की तकनीक हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से बैंकिंग उद्योग में चेक व अन्य दस्तावेजों की क्लीयरिंग करने के लिए होता हैं।
5. ऑप्टिकल मार्क रीडर (OMR) : इसका पूरा नाम - Optical Mark Reader होता हैं। यह एक विशेष प्रकार का स्कैनर होता हैं। इसका इस्तेमाल परीक्षाओ में उत्तर पुस्तिका और OMR Sheet पर बने पेन और पेंसिल के निशानों को पहचान करने में होता हैं। आजकल इसका उपयोग चुनावों और सर्वे में भी होता हैं।
6. ऑप्टिकल करैक्टर रिकग्निशन (OCR) : इसका पूरा नाम Optical Character Recognition होता हैं। इसका उपयोग व्यापक रूप से स्वचालित डाटा एंट्री के लिए किया जाता हैं।
7. बार कोड रीडर (Bar Code Reader) : [BCR] एक होता हैं बार कोड और उस कोड को रीड करने वाला बार कोड रीडर होता हैं। किसी प्रोडक्ट की पहचान के लिए उस प्रोडक्ट पर एक कोड दिया होता हैं। जैसा की आप नीचे इमेज में देख सकते हो इस कोड को रीड करने के लिए बार कोड रीडर का इस्तेमाल होता हैं।
8. स्पीच रिकग्निशन डिवाइस (Speech Recognition Device) : इसके द्वारा कंप्यूटर में ऑडियो इनपुट करवाया जाता हैं जिसके लिए माइक्रोफोन की जरूरत पड़ती हैं।
9. वेबकैम (Webcam) : यह कंप्यूटर से जुड़ा कैमरा होता हैं। जिसके द्वारा हम फोटो और वीडियोस कैप्चर कर सकते हैं।
अभी हम बात करते हैं - Pointing Input Device के बारे में :-
➭ ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI), जो बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाते हैं, में स्क्रीन पर कर्सर की स्थिति बताने के लिए पॉइंटिंग डिवाइस की आवश्यकता होती हैं।
➭ ज्यादातर पॉइंटिंग डिवाइस कंप्यूटर से यूएसबी (USB) पोर्ट के माध्यम से जुड़े होते हैं।
➭ पॉइंटिंग डिवाइस निम्न प्रकार हैं -Mouse, Trackball, Touch pad, Graphical Table, Joystick, Touch Screen Etc.
1. माउस (Mouse) :
➭ माउस सबसे लोकप्रिय पॉइंटिंग डिवाइस हैं।
➭ माउस User के एक हाथ के साथ कार्य करता हैं।
➭ पुराने माउस में एक रोलिंग बॉल होती थी, जो माउस के निचले भाग की सतह पर होती थी।
➭ आजकल ऑप्टिकल माउस का प्रचलन हैं, जिसमे रोलिंग बॉल नहीं होती हैं।
➭ वर्तमान माउस में रोलिंग बॉल की जगह एक प्रकाश और छोटे सेंसर का उपयोग किया जाता हैं। जो मेज की सतह के छोटे से भाग से माउस की मूवमेंट का पता लगाने में इस्तेमाल किया जाता हैं।
➭ वर्तमान माउस तार रहित (Wireless) होते हैं, जो रेडियो तरंगो के माध्यम से कंप्यूटर के साथ संचार बनाये रखते हैं।
➭ माउस में एक स्क्रॉल व्हील (Scroll Wheel) भी होती हैं जो GUI के सतह काम करने में बहुत सहायक हैं।
➭ पारंपरिक PC (Traditional PC) माउस में दो बटन होते हैं, जबकि मैकिनटोश (Macintosh) माउस में एक ही बटन होता हैं।
2. टच-पैड (Touch Pad) :
वर्तमान में लेपटॉप कम्प्यूटर्स में इसका इस्तेमाल होता हैं। इसकी सतह पर ऊँगली से हम पॉइंटर को गति दे सकते हैं। और इसमें माउस की अपेक्षा कम जगह की आवश्यकता होती हैं।
3. ट्रैक पॉइंट (Track Point) : यह एक छोटे जॉयस्टिक की तरह कार्य करता हैं। इसका इस्तेमाल कर्सर की स्थिति बदलने के लिए करते हैं।
4. ट्रैकबॉल (TrackBall) : यह माउस की तरह होता हैं। इसमें एक बॉल का इस्तेमाल किया जाता हैं।
5. जॉयस्टिक्स (Joystick) : यह भी एक पॉइंटिंग डिवाइस होती हैं इसका इस्तेमाल गेम्स खेलने में किया जाता हैं।2. टच-पैड (Touch Pad) :
वर्तमान में लेपटॉप कम्प्यूटर्स में इसका इस्तेमाल होता हैं। इसकी सतह पर ऊँगली से हम पॉइंटर को गति दे सकते हैं। और इसमें माउस की अपेक्षा कम जगह की आवश्यकता होती हैं।
3. ट्रैक पॉइंट (Track Point) : यह एक छोटे जॉयस्टिक की तरह कार्य करता हैं। इसका इस्तेमाल कर्सर की स्थिति बदलने के लिए करते हैं।
4. ट्रैकबॉल (TrackBall) : यह माउस की तरह होता हैं। इसमें एक बॉल का इस्तेमाल किया जाता हैं।
6. ग्राफ़िक्स टेबलेट (Graphics Tablet) : यह एक टैबलेट के समान दिखाई देती हैं पर इसका उपयोग चित्र बनाने में किया जाता हैं। इस टेबल पर एक विशेष प्रकार के पेन का इस्तेमाल होता हैं।
➨ चलिए हम कुछ आउटपुट डिवाइस के बारे में बात करते हैं -
ऑउटपुट डिवाइस कंप्यूटर में पड़े डेटा को इस रूप में प्रदर्शित करता है ताकि यूजर को आसानी से समझ में आ जाये। उदाहरण - Monitor, Printer, Plotter, Speaker etc.
1. मॉनिटर (Monitor) :- मॉनिटर आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी स्क्रीन पर दिखाता है जिससे उपयोगकर्ता आसानी से देख सकता है और समझ सकता है और पढ़ भी सकता है।
आमतौर पर मॉनिटर को दो भागों में बांटा गया है
A. CRT Monitor
B. Flat Panel Monitor
A. CRT Monitor : यह टीवी के समान होते हैं इनमें एक बड़ी कैथोड रे ट्यूब लगी होती है। मॉनिटर का रेजोल्यूशन पिक्सेल में मापा जाता है। पिक्सेल बहुत ही छोटे डॉट्स से बने होते हैं जिन्हें मिलाकर एक पिक्चर बनती है पिक्सेल के बीच की जगह को डॉट पिच कहा जाता है मॉनिटर पर जितने अधिक पिक्सेल होंगे उतनी ही अच्छी पिक्चर की क्वालिटी होगी।
B. Flat Panel Monitor : इसके अंदर दो प्रकार के मॉनिटर होते हैं-
एक LCD और LED. LCD की Full Form- लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display) और LED की Full Form- लाइट एमिटिंग डायोड (Light Emitting Diode) होती है। और यह मॉनिटर CRT मॉनिटर की तुलना में बहुत ही हल्के होते हैं और इन की पिक्चर क्वालिटी भी अच्छी होती है इन मॉनिटर में थिन फिल्म ट्रांजिस्टर Thin Film Transistor (TFT) का उपयोग किया जाता है।
2. प्रिंटर (Printer) : किसी डिजिटल दस्तावेज को कागज पर प्रिंट करना हो तो प्रिंटर का उपयोग लिया जाता है प्रिंटर हार्ड कॉपी प्रदान करती हैं और यह एक आउटपुट डिवाइस होती है प्रिंटर की आउटपुट गुणवत्ता को डीपीआई (Dots Per Inch) में मापा जाता है।
प्रिंटर को मोटे तौर पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है -
A. इंपैक्ट प्रिंटर
B. नॉन इंपैक्ट प्रिंटर
A. इंपैक्ट प्रिंटर : इसके अंदर कैरेक्टर प्रिंटर और लाइन प्रिंटर मुख्य प्रिंटर होते हैं।
➽ कैरेक्टर प्रिंटर - करेक्टर प्रिंटर के सबसे लोकप्रिय उदाहरण डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर और डेजी व्हील प्रिंटर हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के हेड में छोटे-छोटे सक्रिय पिन होते हैं और एक रिबन लगा होता है जिसके सहारे यह इमेज प्रिंट करते हैं। यह प्रिंटर बहुत ही धीमी और बहुत ही शोर करने वाले होते हैं इनका उपयोग आमतौर पर बड़े-बड़े व्यवसाय और व्यापारिक कामकाज में किया जाता है।
➽ लाइन प्रिंटर - लाइन प्रिंटर एक समय में पूरी एक लाइन प्रिंट कर सकते हैं लाइन प्रिंटर के अंदर चैन प्रिंटर और ड्रम प्रिंटर मुख्य हैं। इन प्रिंटर के अंदर भी रिबन का उपयोग किया जाता है। 200 से 2000 लाइन प्रति मिनट इनकी क्षमता होती है।
B. नॉन इंपैक्ट प्रिंटर : यह बिना आवाज किए कार्य करते हैं अर्थात इनकी आवाज होती है वह बहुत ही धीमी होती है। इनके अंदर इंक-जेट प्रिंटर, लेजर प्रिंटर, थर्मल प्रिंटर मुख्य हैं।
➽ इंक-जेट प्रिंटर - यह प्रिंटर किसी इमेज को बनाने या प्रिंट करने में छोटी छोटी बूंदों का छिड़काव करते हैं। और इन प्रिंटर के द्वारा रंगीन चित्र बनाने के लिए भिन्न-भिन्न रंगो की आवश्यकता होती है। यह प्रिंटर सस्ते होते हैं, लेकिन अगर हम इनका लंबे समय तक यूज करें तो इनके अंदर उपयोग होने वाले कार्टेज के कारन ये महंगे पड़ते हैं।
➽ लेजर प्रिंटर - इनका इस्तेमाल कार्यालय और व्यवसायिक तौर पर किया जाता है ज्यादातर लेजर प्रिंटर मोनोक्रोम अर्थात काला रंग प्रिंट करने वाली होते हैं। परंतु यह बहुत महंगें होते हैं, क्योंकि इनके अंदर भिन्न-भिन्न रंग का यूज किया जाता है और यह प्रिंटर इंकजेट प्रिंटर की अपेक्षा अधिक तेज होते हैं। इन प्रिंटरों की गति PPM (पेज प्रति मिनट) में मापी जाती हैं।
➽ थर्मल प्रिंटर - यह प्रिंटर पेपर पर प्रिंट करने में गरम तत्वों का उपयोग करते हैं। इनका इस्तेमाल एटीएम मशीन में रसीद प्रिंट के लिए किया जाता है। और इनके अंदर हिट संवेदनशील कागज (Heat Sensitive Paper) का यूज किया जाता है। इन प्रिंटरों की लागत अधिक होती है।
2. प्लॉटर (Plotter) :- प्लॉटर का उपयोग इंजीनियरिंग के अंदर किया जाता है। जैसे बिल्डिंग प्लान करना, सर्किट डायग्राम बनाने का कार्य प्लॉटर द्वारा किया जाता है।
3. स्पीकर (Speaker) :- यह एक आउटपुट डिवाइस होती है। और यह कंप्यूटर का हिस्सा है। स्पीकर ध्वनि का निर्माण करते हैं और ऑडियो आउटपुट प्रदान करते हैं।
4. मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर (Multimedia Projector) :- सामूहिक रूप से किसी को जानकारी देने के लिए यह डिवाइस बहूत ही मददगार साबित होती है जैसे- मीटिंग, कॉन्फ्रेंस आदि के अंदर प्रेजेंटेशन देने के लिए इस डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।
➨ कुछ डिवाइस ऐसी होती हैं जो इनपुट और आउटपुट दोनों रूप में कार्य करती हैं। तो चलिए इनके बारे में भी हम पढ़ लेते हैं -
1. फैक्स मशीन (Fax Machine) : इसका इस्तेमाल आज से कुछ टाइम पहले किया जाता था।पर वर्तमान में इसका इस्तेमाल बंद हो चुका है। यह डिवाइस किसी कागज को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजती थी जैसे कि इस डिवाइस के अंदर कोई डॉक्यूमेंट डाला जाता था तो यह डिवाइस किसी दूसरे स्थान पर पड़ी हुई फैक्स मशीन के अंदर उस दस्तावेज को प्रिंट कर देती थी तो यह आउटपुट और इनपुट का दोनों का कार्य करती थी।
2. मल्टीफंक्शन उपकरण (MFD Device) : यह उपकरण 2 डिवाइसों को मिलाकर बनाए जाते हैं। जैसे कि आप फोटो में देख सकते हो यह जो मशीन है इसके अंदर तीन कार्य आप एक साथ कर सकते हो जैसे - फोटोकॉपी निकालना, प्रिंट करना और स्कैन करना तो यह होती है मल्टी फंक्शन उपकरण।
3. मॉडेम (Modem) : टेलीफोन लाइन से इंटरनेट की सुविधा प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह डिजिटल सिग्नल को एनालॉग और एनालॉग सिगनल को डिजिटल में परिवर्तित करता है।
इसके अलावा टच स्क्रीन डिस्प्ले, डिजिटल कैमरा आदि इनपुट और आउटपुट डिवाइस के उदाहरण होते हैं।
➨ कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory)-
कंप्यूटर मेमोरी डेटा और इंफॉर्मेशन स्टोर करने के काम आती है।
कंप्यूटर मेमोरी तीन प्रकार की होती हैं।
1. कैश मेमोरी
2. प्राइमरी मेमोरी /मुख्य मेमोरी
3. सेकेंडरी मेमोरी
1. कैश मेमोरी (Cache Memory) : कैश मेमोरी बहुत ही उच्च गति अर्द्ध कंडक्टर मेमोरी होती है जो कि मुख्य मेमोरी की स्पीड बढ़ा देती है। और किसी भी काम को करने में कैश मेमोरी मुख्य मेमोरी की तुलना में कम समय का उपयोग करती है। यह अस्थाई रूप से डाटा को संग्रहित करती है। कैश मेमोरी का मुख्य लाभ यह है कि यह मुख्य मेमोरी से तेज होती है।
कैश मेमोरी की कुछ सीमाएं -
सीमित क्षमता
बहुत ही महंगी
2. प्राइमरी मेमोरी /मुख्य मेमोरी (Main Memory) : प्राइमरी मेमोरी कंप्यूटर में वर्तमान में जो काम होता है उसे स्टोर करके रखती है। और जब बिजली बंद होती है तो इसमें रखा डाटा खो जाता है। यह मेमोरी अर्धचालक उपकरणों से मिलके बनी होती है जैसे सिलीकॉन आधारित ट्रांजिस्टर ।
रैम और रोम मुख्य मेमोरी के दो उदाहरण हैं। रैम वोलेटाइल मेमोरी अर्थात परिवर्तनशील और रोम नॉन वोलेटाइल अर्थात अपरिवर्तनशील मेमोरी होती हैं।
मुख्य मेमोरी की विशेषताएं -
यह मेमोरी वर्तमान में कंप्यूटर में हो रहे कार्य स्टोर करती है।
कंप्यूटर प्राइमरी मेमोरी के बिना नहीं चलता।
⇒ रैम (RAM- Random Access Memory) : [रैम वोलेटाइल मेमोरी अर्थात परिवर्तनशील मेमोरी होती हैं। ] रेंडम एक्सेस मेमोरी अर्थात RAM कंप्यूटर में किसी डाटा को पढ़ने और लिखने का कार्य इस मेमोरी के द्वारा किया जाता है।
रैम को भी दो भागों में बांटा गया है -
डायनामिक रैम (DRAM)
स्टैटिक रैम (SRAM)
⇒रोम (ROM- Read Only Memory) : यह मेमोरी नॉन वोलेटाइल अर्थात अपरिवर्तनशील होती है। और बिजली चले जाने के बाद भी इसके अंदर डाटा स्थाई रहता है।
इस मेमोरी के अंदर एक बार डाटा फीड करने के बाद उस डाटा को बदला नहीं जा सकता।
RAM के निम्न प्रकार होते हैं -
PROM- Programmable Read-Only Memory
EPROM- Erasable Programmable Read-Only Memory
EEPROM- Electrically Erasable Programmable Read-Only Memory
3. सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) : सेकेंडरी मेमोरी एक्सटर्नल रूप में कार्य करती है। यह मेमोरी नॉन्वोलेटाइल मेमोरी के रूप में जानी जाती है। और यह मुख्य मेमोरी की तुलना में धीमी होती है।
इसका उपयोग स्थाई रूप से और लंबे समय तक डाटा या इंफॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए किया जाता है।
सेकेंडरी मेमोरी की कुछ विशेषताएं -
→यह ऑप्टिकल और मैग्नेटिक मेमोरी होती है।
→इसका उपयोग बैकअप मेमोरी के रूप में लिया जाता है।
→बिजली बंद होने के बाद भी यह डाटा को स्थाई रूप से स्टोर रखती है।
→प्राइमरी मेमोरी की तुलना में धीमी होती है।
→बड़े और भारी भरकम डाटा को कम लागत में यह मेमोरी लंबे समय तक रख सकती है।
जैसे - हार्ड डिस्क (HDD)।
⇒हार्ड डिस्क (HDD) : इसका पूरा नाम हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) होता है। और यह आमतौर पर कंप्यूटर के डाटा को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए उपयोग में ली जाती है। इसके अंदर चुंबकीय प्लेट्स होती हैं जिनके ऊपर डाटा संग्रहित किया जाता है।
Hard Disk Drive की अलग-अलग क्षमता होती है जैसे कि 250GB, 500GB, 1TB आदि। इस प्रकार से बहुत सारी HDD मार्केट में उपलब्ध है।
⇒ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) : यह एक वृत्ताकार थाली के समान दिखने वाली होती है। इनकी भी अलग अलग भंडारण क्षमता होती है।
सबसे लोकप्रिय ऑप्टिकल डिस्क - सीडी-आर (CD-R/WORM), सीडी-आरडब्ल्यू (CD-RW), डीवीडी (DVD), ब्लू रे डिस्क काफी पॉपुलर है।
CD-R / WORM Disk-
CD-R- Compact Disk Recordable
WORM- Write Once Read Many अर्थात - एक बार इसमें डेटा फीड किया जाता हैं, और उसे बार-बार पढ़ा जाता हैं।
CD-RW-
CD-RW- Compact Disk-Read Write
इसमें फीड किया डेटा हम बार-बार मिटा सकते हैं और उसे दोबारा भी फीड कर सकते हैं।
DVD-
DVD- Digital Video/Versatile Disc
यह दिखने में CD जैसी होती हैं परन्तु इसकी भंडारण क्षमता ज्यादा होती हैं। जैसे - 4.7 GB, 8.5 GB आदि।
डीवीडी को "एकल परत डिस्क" और "डबल परत डिस्क" के रूप में वर्गीकृत किया जाता हैं।
Blu-Ray Disk -
यह डीवीडी की आने वाली पीढ़ी हैं। ब्लू रे डिस्क डेटा स्टोर करने में लेजर बीम का उपयोग करती हैं। इसकी भंडारण क्षमता 25GB से 50GB होती हैं।
पेन ड्राइव (Pen Drive)/Flash Memory -
यह एक छोटा सा पोर्टेबल डिवाइस होता हैं। इसका उपयोग भी डाटा स्टोर करने में होता हैं। यह हमेशा कंप्यूटर से जुड़ा नहीं रहता। यह USB पोर्ट (Universal Serial Bus) के माद्यम से कंप्यूटर से जुड़ता हैं। इसे आसानी से कंप्यूटर से अलग किया जा सकता हैं।
स्मार्ट मिडिया कार्ड (Smart Media Card) -
डिजिटल कैमरा में इस्तेमाल में सबसे लोकप्रिय हैं। यह एक पोर्टेबल क्रेडिट कार्ड की तरह होता हैं।
सुरक्षित डिजिटल कार्ड (Secure Digital Card- SD Card) -
यह मल्टीमीडिया कार्ड की दूसरी पीढ़ी हैं। इसमें डेटा को लॉक और सुरक्षित रखने की क्षमता हैं।
ये दो प्रकार के होता हैं -
MiniSD Card
MicroSD Card
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आमतौर पर मॉनिटर को दो भागों में बांटा गया है
A. CRT Monitor
B. Flat Panel Monitor
A. CRT Monitor : यह टीवी के समान होते हैं इनमें एक बड़ी कैथोड रे ट्यूब लगी होती है। मॉनिटर का रेजोल्यूशन पिक्सेल में मापा जाता है। पिक्सेल बहुत ही छोटे डॉट्स से बने होते हैं जिन्हें मिलाकर एक पिक्चर बनती है पिक्सेल के बीच की जगह को डॉट पिच कहा जाता है मॉनिटर पर जितने अधिक पिक्सेल होंगे उतनी ही अच्छी पिक्चर की क्वालिटी होगी।
B. Flat Panel Monitor : इसके अंदर दो प्रकार के मॉनिटर होते हैं-
एक LCD और LED. LCD की Full Form- लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display) और LED की Full Form- लाइट एमिटिंग डायोड (Light Emitting Diode) होती है। और यह मॉनिटर CRT मॉनिटर की तुलना में बहुत ही हल्के होते हैं और इन की पिक्चर क्वालिटी भी अच्छी होती है इन मॉनिटर में थिन फिल्म ट्रांजिस्टर Thin Film Transistor (TFT) का उपयोग किया जाता है।
2. प्रिंटर (Printer) : किसी डिजिटल दस्तावेज को कागज पर प्रिंट करना हो तो प्रिंटर का उपयोग लिया जाता है प्रिंटर हार्ड कॉपी प्रदान करती हैं और यह एक आउटपुट डिवाइस होती है प्रिंटर की आउटपुट गुणवत्ता को डीपीआई (Dots Per Inch) में मापा जाता है।
प्रिंटर को मोटे तौर पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है -
A. इंपैक्ट प्रिंटर
B. नॉन इंपैक्ट प्रिंटर
A. इंपैक्ट प्रिंटर : इसके अंदर कैरेक्टर प्रिंटर और लाइन प्रिंटर मुख्य प्रिंटर होते हैं।
➽ कैरेक्टर प्रिंटर - करेक्टर प्रिंटर के सबसे लोकप्रिय उदाहरण डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर और डेजी व्हील प्रिंटर हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के हेड में छोटे-छोटे सक्रिय पिन होते हैं और एक रिबन लगा होता है जिसके सहारे यह इमेज प्रिंट करते हैं। यह प्रिंटर बहुत ही धीमी और बहुत ही शोर करने वाले होते हैं इनका उपयोग आमतौर पर बड़े-बड़े व्यवसाय और व्यापारिक कामकाज में किया जाता है।
➽ लाइन प्रिंटर - लाइन प्रिंटर एक समय में पूरी एक लाइन प्रिंट कर सकते हैं लाइन प्रिंटर के अंदर चैन प्रिंटर और ड्रम प्रिंटर मुख्य हैं। इन प्रिंटर के अंदर भी रिबन का उपयोग किया जाता है। 200 से 2000 लाइन प्रति मिनट इनकी क्षमता होती है।
B. नॉन इंपैक्ट प्रिंटर : यह बिना आवाज किए कार्य करते हैं अर्थात इनकी आवाज होती है वह बहुत ही धीमी होती है। इनके अंदर इंक-जेट प्रिंटर, लेजर प्रिंटर, थर्मल प्रिंटर मुख्य हैं।
➽ इंक-जेट प्रिंटर - यह प्रिंटर किसी इमेज को बनाने या प्रिंट करने में छोटी छोटी बूंदों का छिड़काव करते हैं। और इन प्रिंटर के द्वारा रंगीन चित्र बनाने के लिए भिन्न-भिन्न रंगो की आवश्यकता होती है। यह प्रिंटर सस्ते होते हैं, लेकिन अगर हम इनका लंबे समय तक यूज करें तो इनके अंदर उपयोग होने वाले कार्टेज के कारन ये महंगे पड़ते हैं।
➽ लेजर प्रिंटर - इनका इस्तेमाल कार्यालय और व्यवसायिक तौर पर किया जाता है ज्यादातर लेजर प्रिंटर मोनोक्रोम अर्थात काला रंग प्रिंट करने वाली होते हैं। परंतु यह बहुत महंगें होते हैं, क्योंकि इनके अंदर भिन्न-भिन्न रंग का यूज किया जाता है और यह प्रिंटर इंकजेट प्रिंटर की अपेक्षा अधिक तेज होते हैं। इन प्रिंटरों की गति PPM (पेज प्रति मिनट) में मापी जाती हैं।
➽ थर्मल प्रिंटर - यह प्रिंटर पेपर पर प्रिंट करने में गरम तत्वों का उपयोग करते हैं। इनका इस्तेमाल एटीएम मशीन में रसीद प्रिंट के लिए किया जाता है। और इनके अंदर हिट संवेदनशील कागज (Heat Sensitive Paper) का यूज किया जाता है। इन प्रिंटरों की लागत अधिक होती है।
2. प्लॉटर (Plotter) :- प्लॉटर का उपयोग इंजीनियरिंग के अंदर किया जाता है। जैसे बिल्डिंग प्लान करना, सर्किट डायग्राम बनाने का कार्य प्लॉटर द्वारा किया जाता है।
3. स्पीकर (Speaker) :- यह एक आउटपुट डिवाइस होती है। और यह कंप्यूटर का हिस्सा है। स्पीकर ध्वनि का निर्माण करते हैं और ऑडियो आउटपुट प्रदान करते हैं।
4. मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर (Multimedia Projector) :- सामूहिक रूप से किसी को जानकारी देने के लिए यह डिवाइस बहूत ही मददगार साबित होती है जैसे- मीटिंग, कॉन्फ्रेंस आदि के अंदर प्रेजेंटेशन देने के लिए इस डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।
➨ कुछ डिवाइस ऐसी होती हैं जो इनपुट और आउटपुट दोनों रूप में कार्य करती हैं। तो चलिए इनके बारे में भी हम पढ़ लेते हैं -
1. फैक्स मशीन (Fax Machine) : इसका इस्तेमाल आज से कुछ टाइम पहले किया जाता था।पर वर्तमान में इसका इस्तेमाल बंद हो चुका है। यह डिवाइस किसी कागज को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजती थी जैसे कि इस डिवाइस के अंदर कोई डॉक्यूमेंट डाला जाता था तो यह डिवाइस किसी दूसरे स्थान पर पड़ी हुई फैक्स मशीन के अंदर उस दस्तावेज को प्रिंट कर देती थी तो यह आउटपुट और इनपुट का दोनों का कार्य करती थी।
2. मल्टीफंक्शन उपकरण (MFD Device) : यह उपकरण 2 डिवाइसों को मिलाकर बनाए जाते हैं। जैसे कि आप फोटो में देख सकते हो यह जो मशीन है इसके अंदर तीन कार्य आप एक साथ कर सकते हो जैसे - फोटोकॉपी निकालना, प्रिंट करना और स्कैन करना तो यह होती है मल्टी फंक्शन उपकरण।
MFD Device |
3. मॉडेम (Modem) : टेलीफोन लाइन से इंटरनेट की सुविधा प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह डिजिटल सिग्नल को एनालॉग और एनालॉग सिगनल को डिजिटल में परिवर्तित करता है।
इसके अलावा टच स्क्रीन डिस्प्ले, डिजिटल कैमरा आदि इनपुट और आउटपुट डिवाइस के उदाहरण होते हैं।
➨ कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory)-
कंप्यूटर मेमोरी डेटा और इंफॉर्मेशन स्टोर करने के काम आती है।
कंप्यूटर मेमोरी तीन प्रकार की होती हैं।
1. कैश मेमोरी
2. प्राइमरी मेमोरी /मुख्य मेमोरी
3. सेकेंडरी मेमोरी
1. कैश मेमोरी (Cache Memory) : कैश मेमोरी बहुत ही उच्च गति अर्द्ध कंडक्टर मेमोरी होती है जो कि मुख्य मेमोरी की स्पीड बढ़ा देती है। और किसी भी काम को करने में कैश मेमोरी मुख्य मेमोरी की तुलना में कम समय का उपयोग करती है। यह अस्थाई रूप से डाटा को संग्रहित करती है। कैश मेमोरी का मुख्य लाभ यह है कि यह मुख्य मेमोरी से तेज होती है।
कैश मेमोरी की कुछ सीमाएं -
सीमित क्षमता
बहुत ही महंगी
2. प्राइमरी मेमोरी /मुख्य मेमोरी (Main Memory) : प्राइमरी मेमोरी कंप्यूटर में वर्तमान में जो काम होता है उसे स्टोर करके रखती है। और जब बिजली बंद होती है तो इसमें रखा डाटा खो जाता है। यह मेमोरी अर्धचालक उपकरणों से मिलके बनी होती है जैसे सिलीकॉन आधारित ट्रांजिस्टर ।
रैम और रोम मुख्य मेमोरी के दो उदाहरण हैं। रैम वोलेटाइल मेमोरी अर्थात परिवर्तनशील और रोम नॉन वोलेटाइल अर्थात अपरिवर्तनशील मेमोरी होती हैं।
मुख्य मेमोरी की विशेषताएं -
यह मेमोरी वर्तमान में कंप्यूटर में हो रहे कार्य स्टोर करती है।
कंप्यूटर प्राइमरी मेमोरी के बिना नहीं चलता।
⇒ रैम (RAM- Random Access Memory) : [रैम वोलेटाइल मेमोरी अर्थात परिवर्तनशील मेमोरी होती हैं। ] रेंडम एक्सेस मेमोरी अर्थात RAM कंप्यूटर में किसी डाटा को पढ़ने और लिखने का कार्य इस मेमोरी के द्वारा किया जाता है।
रैम को भी दो भागों में बांटा गया है -
डायनामिक रैम (DRAM)
स्टैटिक रैम (SRAM)
⇒रोम (ROM- Read Only Memory) : यह मेमोरी नॉन वोलेटाइल अर्थात अपरिवर्तनशील होती है। और बिजली चले जाने के बाद भी इसके अंदर डाटा स्थाई रहता है।
इस मेमोरी के अंदर एक बार डाटा फीड करने के बाद उस डाटा को बदला नहीं जा सकता।
RAM के निम्न प्रकार होते हैं -
PROM- Programmable Read-Only Memory
3. सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) : सेकेंडरी मेमोरी एक्सटर्नल रूप में कार्य करती है। यह मेमोरी नॉन्वोलेटाइल मेमोरी के रूप में जानी जाती है। और यह मुख्य मेमोरी की तुलना में धीमी होती है।
इसका उपयोग स्थाई रूप से और लंबे समय तक डाटा या इंफॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए किया जाता है।
सेकेंडरी मेमोरी की कुछ विशेषताएं -
→यह ऑप्टिकल और मैग्नेटिक मेमोरी होती है।
→इसका उपयोग बैकअप मेमोरी के रूप में लिया जाता है।
→बिजली बंद होने के बाद भी यह डाटा को स्थाई रूप से स्टोर रखती है।
→प्राइमरी मेमोरी की तुलना में धीमी होती है।
→बड़े और भारी भरकम डाटा को कम लागत में यह मेमोरी लंबे समय तक रख सकती है।
जैसे - हार्ड डिस्क (HDD)।
⇒हार्ड डिस्क (HDD) : इसका पूरा नाम हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) होता है। और यह आमतौर पर कंप्यूटर के डाटा को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए उपयोग में ली जाती है। इसके अंदर चुंबकीय प्लेट्स होती हैं जिनके ऊपर डाटा संग्रहित किया जाता है।
Hard Disk Drive की अलग-अलग क्षमता होती है जैसे कि 250GB, 500GB, 1TB आदि। इस प्रकार से बहुत सारी HDD मार्केट में उपलब्ध है।
⇒ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) : यह एक वृत्ताकार थाली के समान दिखने वाली होती है। इनकी भी अलग अलग भंडारण क्षमता होती है।
सबसे लोकप्रिय ऑप्टिकल डिस्क - सीडी-आर (CD-R/WORM), सीडी-आरडब्ल्यू (CD-RW), डीवीडी (DVD), ब्लू रे डिस्क काफी पॉपुलर है।
CD-R / WORM Disk-
CD-R- Compact Disk Recordable
WORM- Write Once Read Many अर्थात - एक बार इसमें डेटा फीड किया जाता हैं, और उसे बार-बार पढ़ा जाता हैं।
CD-RW-
CD-RW- Compact Disk-Read Write
इसमें फीड किया डेटा हम बार-बार मिटा सकते हैं और उसे दोबारा भी फीड कर सकते हैं।
DVD-
DVD- Digital Video/Versatile Disc
यह दिखने में CD जैसी होती हैं परन्तु इसकी भंडारण क्षमता ज्यादा होती हैं। जैसे - 4.7 GB, 8.5 GB आदि।
डीवीडी को "एकल परत डिस्क" और "डबल परत डिस्क" के रूप में वर्गीकृत किया जाता हैं।
Blu-Ray Disk -
यह डीवीडी की आने वाली पीढ़ी हैं। ब्लू रे डिस्क डेटा स्टोर करने में लेजर बीम का उपयोग करती हैं। इसकी भंडारण क्षमता 25GB से 50GB होती हैं।
पेन ड्राइव (Pen Drive)/Flash Memory -
यह एक छोटा सा पोर्टेबल डिवाइस होता हैं। इसका उपयोग भी डाटा स्टोर करने में होता हैं। यह हमेशा कंप्यूटर से जुड़ा नहीं रहता। यह USB पोर्ट (Universal Serial Bus) के माद्यम से कंप्यूटर से जुड़ता हैं। इसे आसानी से कंप्यूटर से अलग किया जा सकता हैं।
स्मार्ट मिडिया कार्ड (Smart Media Card) -
डिजिटल कैमरा में इस्तेमाल में सबसे लोकप्रिय हैं। यह एक पोर्टेबल क्रेडिट कार्ड की तरह होता हैं।
सुरक्षित डिजिटल कार्ड (Secure Digital Card- SD Card) -
यह मल्टीमीडिया कार्ड की दूसरी पीढ़ी हैं। इसमें डेटा को लॉक और सुरक्षित रखने की क्षमता हैं।
ये दो प्रकार के होता हैं -
MiniSD Card
MicroSD Card
हमने आपके लिए अध्याय 2 के सभी नोटस की वीडियो बनाई है आप चाहे तो इन वीडियो को भी देख सकते हैं।
Part- 1
Part- 2
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